Friday, July 22, 2011

एक ख्याल ||

मुझे एक ख्याल आया
कि जो न मेरे पास दिल होता
तो क्या मैं ज़्यादा सुखी होता ||

जब न कुछ मुझको अच्छा लगता
और न कुछ मुझको बुरा लगता,
तब न कोई मुझको डर होता
कुछ खोने का या पाने का ||

जब न कोई मुझको आस होती
और न कोई मुझको तलाश होती
एक ऐसा पल ढूंडने की
जिस मे दिल को खुशी होती ||

और फिर न कोई जुस्तजू होती
किसी दूसरे से आगे निकलने की
ना कोई ईर्षा न कोई दवे्श
ना कोई बैर न कोई भेद ||

जब न कोई मुझको अच्छा लगता
और न कोई मुझको बुरा लगता
तब कोई कुछ कहता कोई कुछ सुनता
मुझको ना कुछ फरक पङता |

ना मुझे कोई शिकवा होती
ना कोई मुझको गिला होती
बस मैं खुद ही मे खुद होता
और अपने मे मैं खुश होता ||